कैसे भूल जाऊँ उन यादों को, जो बीत गई बचपन में! कैसे भूल जाऊँ उन यादों को, जो बीत गई बचपन में!
मगर मेरा बाल मन और चंचल था अपनी बात पर कैसे टिकता। मगर मेरा बाल मन और चंचल था अपनी बात पर कैसे टिकता।
बरसों बाद आयी हूँ पीहर चली गयी थी ससुराल एक दुल्हन बनकर। बरसों बाद आयी हूँ पीहर चली गयी थी ससुराल एक दुल्हन बनकर।
नौकरी व्याकुल हैं तेरे मिलन के लिए हजार जतन कर चुके हैं हम तेरे लिए। नौकरी व्याकुल हैं तेरे मिलन के लिए हजार जतन कर चुके हैं हम तेरे लिए।
सूरज सा चमको बादल सा गरजो लहरें बन के तट लांघो। सूरज सा चमको बादल सा गरजो लहरें बन के तट लांघो।
नानी ओ नानी याद है तेरी ज़िंदगानी। नानी ओ नानी याद है तेरी ज़िंदगानी।